जोशी, दिनकर [Joshi, Dinkar]

हिन्द स्वराज / Hind Swaraj दिनकर जोशी - 2nd ed. - नई दिल्ली : भारतीय ज्ञानपीठ, 2016. - 123p.

गुजराती से अनुवाद: नवनीत ठाकुर

Includes bibliographical references and index.

महात्मा गाँधी आज भी अपने दर्शन में सर्वस्पर्शी हैं। जनतन्त्र की पहचान भारतीय जन के रूप में गाँधी करते हैं। उनकी दृष्टि में सब नागरिक एक समान हैं। देश और उसका जनतन्त्र भाषा, धर्म, जाति आदि में रहते हुए उससे ऊपर हैं। 'हिन्द स्वराज' की धारणा में उनका दर्शन न्याय, सत्य और अहिंसा के सिद्धान्तों पर भी समान है। गाँधी मताधिकार से लेकर सामाजिक समरसता, आंशिक समानता, शिक्षा का अधिकार और गरीबी उन्मूलन के स्वदेशी उपायों पर विमर्श प्रस्तुत करते हैं। इन सारे बिन्दुओं पर गाँधी आत्मबल के मार्ग को प्राथमिकता देते हैं। इस मार्ग पर यान्त्रिकीकरण के खतरों के प्रति आगाह करते हुए गाँधी इस देश का सम्यक् और विवेकसंगत रोडमैप देश के सामने रखते हैं । दिनकर जोशी आज सर्वाधिक प्रासंगिक 'हिन्द 'स्वराज' की अवधारणा की एक बार पुनः व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। यह किताब इक्कीसवीं सदी के लिए एक ज़रूरी पाठ है।


Hindi.

9789326352901


राष्ट्रवाद.
भारत.
हिंद स्वराज (गांधी, महात्मा).
राजनीति और सरकार.

954.035 / JOS-H