ग्रामीण विकास : परिप्रेक्ष्य, नीतियाँ और कार्यक्रम / Gramin Vikas: Pariprekshya, Neetiyen aur Karyakram edited by:जोधका, सुरिंदर एस. (Jodhka, Surinder S.)चौबे, कमल नयन (Choubey, Kamal Nayan) सम्पादक सुरिन्दर एस. जोधका, कमल नयन चौबे - नई दिल्ली : वाणी प्रकाशन और इकनॉमिक एण्ड पॉलिटिकल वीकली, 2019. - 294p. - भारतीय ग्राम शृंखला - II .

Includes bibliographical references and index.

ग्रामीण भारत के जीवन के विविध आयामों से सम्बन्धित विद्वत्तापूर्ण और अनुसन्धानपरक आलेखों से बनी यह पुस्तक अपने आप में अनूठी है। इसका एक स्पष्ट कारण तो यह है कि इसमें भारत के गाँवों के जीवन के विविध आयामों से सम्बन्धित आलेख सम्मिलित हैं, और दूसरा कारण यह है कि यह पुस्तक स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन में गत्यात्मक परिवर्तनशीलता की तस्वीर प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के अध्यायों को पढ़ते हुए हमें स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद के आरम्भिक दशकों में भारतीय गाँवों की स्थिति, जातियों की भूमिका और उनमें हो रहे परिवर्तन के बारे में जानकारी मिलती है। बाद के अध्यायों में साठ सत्तर और अस्सी के दशक में राज्य द्वारा निर्मित नीतियों के कारण ग्रामीण जीवन में होने वाले बदलावों का अनुभवसिद्ध अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इसी तरह, कई अन्य अध्याय उदारीकरण और भूमण्डलीकरण के दौर में भारतीय गाँवों की दशा और दिशा को प्रदर्शित करते हैं। इस पुस्तक के संकलित आलेखों में सामाजिक एवं लैंगिक संरचनात्मक परिवर्तन, सामुदायिक विकास, ग्रामीण विद्युतीकरण, हरित क्रान्ति, ग्रामीण राजनीति जैसे पहलुओं से भारतीय ग्रामीण जीवन के विविध आयामों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।


Hindi.

9789389012842


Rural development--India.
Poverty--India.
Community development programs--India.
Electrification--Rural areas --India.
Employment--Rural areas--India.

307.14120954 / GRA-