यादों का लाल गलियारा : (Record no. 38380)

000 -LEADER
fixed length control field 05629nam a2200193 4500
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9788126727827
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title hin-
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 954.137
Item number JOS-Y
100 1# - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name जोशी, रामशरण
Relator term लेखक
-- author
245 10 - TITLE STATEMENT
Title यादों का लाल गलियारा :
Sub Title दंतेवाड़ा /
Statement of responsibility, etc रामशरण जोशी
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication दिल्ली :
Name of publisher राजकमल प्रकाशन,
Year of publication 2017.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 213p.
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE
Bibliography, etc Includes bibliographical references and index.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc रामशरण जोशी की यह पुस्तक जिन्दा बादों की एक विरल गाथा है। उन जिन्दा यादों की जिनमें हरे-भरे कैनवस पर खून के छींटे दूर-दूर तक सवालों की तरह दिखाई देते हैं। ऐसे सवालों की तरह एक देश के पूरे नक्शे पर जिन्हें राजसत्ता ने अपने आन्तरिक साम्राज्यवाद प्रेरित विकास और विस्तार के लिए कभी सुलझाने का न्यायोचित प्रयास नहीं किया, बल्कि 'ग्रीन हण्ट' और 'सलवा जुडुम' के नाम पर राह में आड़े आनेवाले 'लोग और लोक' दोनों को ही अपराधी बना दिया और यातनाओं को ऐसे दुःस्वप्न में बदला कि दुनिया भर के इतिहासों के साक्ष्य के बावजूद छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि के वनांचलों का भविष्य अपने आगमन से पहले लहकता रहा, 'लाल गलियारा' बनता रहा।<br/><br/>यह पुस्तक राजसत्ता और वैश्विक नव उपनिवेशवादी चरित्र से न सिर्फ नकाब हटाती है बल्कि आदिवासियों यानी हाशिए के संघर्ष का वैज्ञानिक विश्लेषण भी करती है। रेखांकित करती है कि 'हाशिए के जन का अपराध केवल यही रहा है कि प्रकृति ने उन्हें सोना, चाँदी, लोहा, बॉक्साइट, मँगनीज, ताँबा, एल्यूमिनियम, कोयला, तेल, हीरे-जवाहरात, अनन्त जल-जंगल-जमीन का स्वाभाविक स्वामी बना दिया; समता, स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और न्यायपूर्ण जीवन की संरचना से समृद्ध किया। इसीलिए इस जन ने अन्य की व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं किया। यदि अन्यों ने किया तो इस जन ने उसका प्रतिरोध भी ज़रूर किया। इस आत्म-रक्षात्मक प्रतिरोध का मूल्य इस जन को अपने असंख्य व अवर्णनीय दैहिक बलिदान, विस्थापन, पलायन, परतंत्रता, शोषण और उत्पीड़न के रूप में अदा करना पड़ा।<br/><br/>अपने काल परिप्रेक्ष्य में 'यादों का लाल गलियारा दंतेवाड़ा' पुस्तक बस्तर, जसपुर, पलामू, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, काडी, उदयपुर, बैलाडीला अबूझमाड़ देवासहित कई वनांचलों के ज़मीनी अध्ययन और अनुभवों के विस्फोटक अन्तर्विरोधों की इबारत लिखती है। लेखक ने इन क्षेत्रों में अपने पड़ावों की ज़िन्दा यादों की ज़मीन पर अवलोकन- पुनरावलोकन से जिस विवेक और दृष्टि का परिचय दिया है, उससे नई राह को एक नई दिशा की प्रतीति होती है। यह पुस्तक हाशिए का विमर्श ही नहीं, हाशिए का विकल्प- पाठ भी प्रस्तुत करती है।
546 ## - LANGUAGE NOTE
Language note English.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term भारत
Geographic subdivision दंतेवाड़ा (जिला).
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term स्वदेशी लोग
General subdivision सामाजिक परिस्थितियाँ.
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme
Koha item type Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Permanent Location Current Location Date acquired Source of acquisition Cost, normal purchase price Full call number Accession Number Cost, replacement price Price effective from Koha item type
        NASSDOC Library NASSDOC Library 2023-03-17 Overseas 0.00 954.137 JOS-Y 53436 0.00 2023-06-06 Books