उखड़े हुए लोग / (Record no. 38405)
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000 -LEADER | |
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fixed length control field | 05482nam a2200253 4500 |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
ISBN | 9788183610971 |
041 ## - LANGUAGE CODE | |
Language code of text/sound track or separate title | hin- |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.4337 |
Item number | YAD-U |
100 1# - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME | |
Personal name | यादव, राजेन्द्र |
Fuller form of name | Yadav, Rajendra |
Relator term | लेखक. |
-- | author. |
245 10 - TITLE STATEMENT | |
Title | उखड़े हुए लोग / |
Statement of responsibility, etc | राजेन्द्र यादव |
246 ## - VARYING FORM OF TITLE | |
Title proper/short title | Ukhade Hue Log |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Place of publication | दिल्ली : |
Name of publisher | राधाकृष्ण प्रकाशन, |
Year of publication | 2019. |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Number of Pages | 364p. |
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE | |
Bibliography, etc | Includes bibliographical references and index. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | स्वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज की त्रासदी को यह उपन्यास दो स्तरों पर उद्घाटित करता है-पूँजीवादी शोषण और मध्यवर्गीय भटकाव । आकस्मिक नहीं कि सूरज सरीखे संघर्षशील युवा पत्रकार के साहस और प्रेरणा के बावजूद उपन्यास के केन्द्रीय चरित्र-शरद और जया जिस भयावह यथार्थ से दूर भागते हैं, उनका कोई गंतव्य नहीं। न वे शोषक से जुड़ पा रहे हैं, न शोषित से। छठे दशक के पूर्वाद्ध में प्रकाशित राजेन्द्र यादव की इस कथाकृति को पहला राजनीतिक उपन्यास कहा गया था और अनेक लेखकों एवं पत्र-पत्रिकाओं ने इसके बारे में लिखा था। मसलन, श्रीकांत वर्मा ने कलकत्ता से प्रकाशित 'सुप्रभात' में टिप्पणी करते हुए कहा कि, "शासन का पूँजी से समझौता है, ग़रीब मजदूरों पर गोलियाँ चलाकर कृत्रिम आँसू बहानेवाली राष्ट्रीय पूँजी की अहिंसा है। इन सबको लेकर लेखक ने एक मनोरंजक और जीवन्त उपन्यास की रचना की है (और) पूँजीवादी संस्कृति की विकृतियों की अनेक झाँकियाँ दिखाई हैं, " अथवा 'आलोचना' में लिखा गया कि, "उखड़े हुए लोग' में जिन लोगों का चित्रण किया गया है, वे एक ओर रूढ़ियों के कठोर पाश से व्याकुल हैं तथा दूसरी ओर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में निरन्तर लुटते रहने के कारण जम पाने में कठिनाई का अनुभव कर रहे हैं। इस दुतरफ़ा संघर्ष में रत उखड़े हुए चेतन मध्यवर्गीय जीवन का एक पहलू प्रस्तुत उपन्यास में प्रकट हुआ है। बौद्धिक विचारणा की दृष्टि से यह उपन्यास पर्याप्त स्पष्ट और खरा है।" या फिर चन्द्रगुप्त विद्यालंकार की यह टिप्पणी कि, “सम्पूर्ण उपन्यास में एक ऐसी प्रभावशाली तीव्रता विद्यमान है जो पाठक के हृदय में किसी न किसी प्रकार की प्रतिक्रिया उत्पन्न किए बिना न रहेगी और (इसमें) अनुभूति की एक ऐसी गहराई है जो हिन्दी के बहुत कम उपन्यासों में मिलेगी।" कहना न होगा कि इस उपन्यास में लेखक ने "जहाँ एक ओर कथानक के प्रवाह, घटनाचक्र की निरन्तर और स्वाभाविक गति तथा स्वच्छ और अबाध नाटकीयता को निभाया है, वहीं दूसरी ओर उसने जीवन से प्राप्त सत्यों और अनुभूतियों को सुन्दर शिल्प और शैली में यथार्थ ढंग से अंकित भी किया है। " |
546 ## - LANGUAGE NOTE | |
Language note | Hindi. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | सामाजिक स्थिति. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | सामाजिक संघर्ष. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | आर्थिक असमानता. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | पूंजीवाद. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | मध्य वर्ग. |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | शोषण. |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | |
Koha item type | Books |
Withdrawn status | Lost status | Damaged status | Not for loan | Permanent Location | Current Location | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Full call number | Accession Number | Cost, replacement price | Price effective from | Koha item type |
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NASSDOC Library | NASSDOC Library | 2023-03-17 | Overseas | 0.00 | 891.4337 YAD-U | 53414 | 0.00 | 2023-06-07 | Books |