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मीडिया विमर्श : आधुनिक सन्दर्भ

By: मीणा, राम लखन Meena, Lakhan Ram.
Publisher: नई दिल्ली कल्पना प्रकाशन 2018Description: 278p.ISBN: 978-81-88790-72-2.Other title: Media vimarsh: aadhunik sandarbh.Subject(s): Journalism Mass Media -- Mass Communication -- EmergencyDDC classification: 302.23 Summary: भारत में नदियों केदकनारे बसी वैदिक बतस्तयों ने सबसे पहलेइनके प्रतत अपनी जवाबिेही जातहर करते हुए पयाभवरण को लेकर सांततमंत्र तैयार दकया, तजसमे धमभ यातन कर्त्भव्य पालन के रूप में घर घर तक पहुंचाया दकन्तु यही कर्त्भव्य परनता भारतीय मीतडया से लगभग गायब है । मीतडया और समाज के टरश्ते मेंिो पिसचंताजनक है । मीतडया और मीतडया कमी महानगरों के उपभोगता वाड़ी वगभ की तचन्ताओ से ग्रस्त है। िेश के आम नागटरक की िुख सुख की खबरे कमोवेश गायब हैिू सरा सचंताजनक पि मीतडया कर्मभयों की सामातजक पृस्ठभूतम से जुड़ा है । एक सवे के अनुसार िेश की खबरे तय करने वालो में८३ फीसिी पुरुष है और ८२ फीसि तहन्िू तिज जाततयों से । मुस्लमान व तपिड़ी जाततया तसफभ ४ फीसि और ितलत आदिवािी शून्य शोध से पता चला हैकी सहंिी मीतडया में८७ फीसि मीतडया कमी ब्रामण पटरवार सेहै दकन्तु उन्होंने अपनी पहचान िुपाने के तलए उनके नमो से जाततसूचक शब्ि हिा तलए गए है ।तपिले लोकसभा चुनाव और उसके बाि इसके एक संस्तागत पहलु का खुलासा हुआ अनेक अखबारों ने चुनाव में पार्िभयों और उमीिवारो केपि में खबरे िापने के िाम वसूले कई अखबारों ने कंपतनयों के हक में खबरे िापने के बाकायिा तलतखत करार कर रखे है । मीतडया और जी केइस नापाक टरश्ते पर कुि बंदिशे लगनी जरुरी है । अतधकांश अख़बार और िी वी चैनल पूंजीपतत या कंपनी की तमलदकयत मेंहै और मातलक मीतडया का इस्तेमाल अपने व्यावसातयक तहतो के तलए करना चाहता है । अनेक मीतडया के मातलक या तो टरयल स्िेि धंिा चलाते है, या दफर टरयल स्िेि पर अनाप सनाप पैसा कमाने वाली िी वी चैनल खोल लेते है यहााँ तक की मीतडया का इस्तेमाल िलाली के तलए भी होता है
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हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह 302.23 MEE-M (Browse shelf) Available हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह 50135

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भारत में नदियों केदकनारे बसी वैदिक बतस्तयों ने सबसे पहलेइनके प्रतत अपनी जवाबिेही जातहर करते हुए पयाभवरण को लेकर सांततमंत्र तैयार दकया, तजसमे धमभ यातन कर्त्भव्य पालन के रूप में घर घर तक पहुंचाया दकन्तु यही कर्त्भव्य परनता भारतीय मीतडया से लगभग गायब है । मीतडया और समाज के टरश्ते मेंिो पिसचंताजनक है । मीतडया और मीतडया कमी महानगरों के उपभोगता वाड़ी वगभ की तचन्ताओ से ग्रस्त है। िेश के आम नागटरक की िुख सुख की खबरे कमोवेश गायब हैिू सरा सचंताजनक पि मीतडया कर्मभयों की सामातजक पृस्ठभूतम से जुड़ा है । एक सवे के अनुसार िेश की खबरे तय करने वालो में८३ फीसिी पुरुष है और ८२ फीसि तहन्िू तिज जाततयों से । मुस्लमान व तपिड़ी जाततया तसफभ ४ फीसि और ितलत आदिवािी शून्य शोध से पता चला हैकी सहंिी मीतडया में८७ फीसि मीतडया कमी ब्रामण पटरवार सेहै दकन्तु उन्होंने अपनी पहचान िुपाने के तलए उनके नमो से जाततसूचक
शब्ि हिा तलए गए है ।तपिले लोकसभा चुनाव और उसके बाि इसके एक संस्तागत पहलु का खुलासा हुआ अनेक अखबारों ने चुनाव में पार्िभयों और उमीिवारो केपि में खबरे िापने के िाम वसूले कई अखबारों ने कंपतनयों के हक में खबरे िापने के बाकायिा तलतखत करार कर रखे है । मीतडया और जी केइस नापाक टरश्ते पर कुि बंदिशे लगनी जरुरी है । अतधकांश अख़बार और िी वी चैनल पूंजीपतत या कंपनी की तमलदकयत मेंहै और मातलक मीतडया का इस्तेमाल अपने व्यावसातयक तहतो के तलए करना चाहता है । अनेक मीतडया के मातलक या तो टरयल स्िेि धंिा चलाते है, या दफर टरयल स्िेि पर अनाप सनाप पैसा कमाने वाली िी वी चैनल खोल लेते है यहााँ तक की मीतडया का इस्तेमाल िलाली के तलए भी होता है

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