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खादी: गाँधी की क्रांति का महाप्रतीक

By: गोंसाल्विस, पीटर Gonsalves, Peter.
Publisher: New Delhi Sage bhasha 2019Edition: Khadi : Gandhi's Mega Symbol of Subversion.Description: xxi, 260p.ISBN: 9789353282134.Other title: Khadi : Gandhi's ki kranti ka mahapratik.Subject(s): Gandhi, Mahatma 1869-1948 -- Political and Social Views -- India | Social movement -- Social reforms -- Socio-religious revolution -- IndiaDDC classification: 303.64092 Summary: खादी गाँधी की क्रांति का महाप्रतीक पुस्तक महात्मा गांधी के पहनावे का अध्ययन करके तथा उसे एकता, सशक्तिकरण और शाही अधीनता से मुक्ति का रूपक मान कर समाज में गुणात्मक परिवर्तन हेतु एक प्रतीक की प्रचण्डता की विवेचना करती है। यह पुस्तक अपनी व्यक्तिगत अखंडता और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन के अन्वेषण के क्रम में कपड़ों के एक संकेत-विज्ञान हेतु गांधी की खोज के ऐतिहासिक साक्ष्यों को जोड़ती है। बहुआयामी परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से यह पुस्तक, उनके परिधान संबंधी संप्रेषण में अंतर्निहित क्रांति का सूक्ष्म परीक्षण भी करती है। लेखक ने अत्यधिक ध्रुवीकृत वातावरण में गांधी के समक्ष उपस्थित जटिल चुनौतियों, जैसे कि, ब्रिटिश साम्राज्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच संघर्ष, हिंदू-मुस्लिम तनाव, शहरी-ग्रामीण विभाजन, और अस्पृश्यता संबंधी प्रश्नों पर भी चर्चा की है। लेखक परिवर्तन लाने के लिए खादी की प्रतीकात्मक क्षमता का परीक्षण करता है, जिसमें मा़त्र ’क्रांति’ या ’राजद्रोह’ ही नहीं, बल्कि पूर्ण आजादी या पूर्ण स्वराज प्राप्त करने की एक टिकाऊ एवं सुनियोजित रणनीति भी उपस्थित है ।
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Item type Current location Collection Call number Status Date due Barcode
Special Collection- M.K. Gandhi, Guru Nanak Dev ji Special Collection- M.K. Gandhi, Guru Nanak Dev ji NASSDOC Library
Mahatma Gandhi 303.64092 GON-K (Browse shelf) Available 50808

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खादी गाँधी की क्रांति का महाप्रतीक पुस्तक महात्मा गांधी के पहनावे का अध्ययन करके तथा उसे एकता, सशक्तिकरण और शाही अधीनता से मुक्ति का रूपक मान कर समाज में गुणात्मक परिवर्तन हेतु एक प्रतीक की प्रचण्डता की विवेचना करती है।
यह पुस्तक अपनी व्यक्तिगत अखंडता और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन के अन्वेषण के क्रम में कपड़ों के एक संकेत-विज्ञान हेतु गांधी की खोज के ऐतिहासिक साक्ष्यों को जोड़ती है। बहुआयामी परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से यह पुस्तक, उनके परिधान संबंधी संप्रेषण में अंतर्निहित क्रांति का सूक्ष्म परीक्षण भी करती है।

लेखक ने अत्यधिक ध्रुवीकृत वातावरण में गांधी के समक्ष उपस्थित जटिल चुनौतियों, जैसे कि, ब्रिटिश साम्राज्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच संघर्ष, हिंदू-मुस्लिम तनाव, शहरी-ग्रामीण विभाजन, और अस्पृश्यता संबंधी प्रश्नों पर भी चर्चा की है।

लेखक परिवर्तन लाने के लिए खादी की प्रतीकात्मक क्षमता का परीक्षण करता है, जिसमें मा़त्र ’क्रांति’ या ’राजद्रोह’ ही नहीं, बल्कि पूर्ण आजादी या पूर्ण स्वराज प्राप्त करने की एक टिकाऊ एवं सुनियोजित रणनीति भी उपस्थित है ।

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