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बौद्धिक सम्पदा संरक्षण और टिकाऊ विकास / फिलिप कुलेट

By: कुलेट, फिलिप [Kulet, Philip] [लेखक [author]].
Publisher: नई दिल्ली : वाणी प्रकाशन, 2008Description: 251p.ISBN: 9788181437679.Other title: Baudhik Sampada Sanrakshan aur Tikau Vikas.Subject(s): पेटेंट (अंतर्राष्ट्रीय कानून) | सतत विकास -- कानून और विधायिका | पौधों की किस्में -- पेटेंट | पौधे, संवर्धित -- पेटेंट | पौधों की किस्मेंDDC classification: 346.54048 Summary: सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनोन्मुख बुद्धिजीवियों और समतामूलक समाज की रचना में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए बेहद उपयोगी इस पुस्तक में बौद्धिक सम्पदा संरक्षण और टिकाऊ विकास की अवधारणा के भूमंडलीय कानूनी पहलुओं पर रोशनी डाली गई है। बौद्धिक सम्पदा संरक्षण एक ऐसा विषय है जिस पर साहित्य का लगभग अभाव ही है, बावजूद इसके कि यह प्रश्न हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करने की स्थिति में आ चुका है। भूमंडलीकरण की दौड़ में पूरी तरह शामिल भारत ही नहीं अन्य विकासशील देशों की सरकारों ने भी महसूस कर लिया है कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार अंगीकार करने के बावजूद उन्हें कुछ विशेष उपाय अपनाने होंगे ताकि उनके जैसे नव-स्वाधीन देशों के हितों की रक्षा की जा सके विकासशील देशों का हित इसी में है कि वे टिकाऊ विकास की अवधारणा की रोशनी में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को देखें। ट्रिप्स समझौते के कारण हुए बौद्धिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीयकरण की तेज प्रक्रिया ने भी विकासशील देशों को इन अधिकारों के प्रति जागरूक किया है। ट्रिप्स द्वारा आरोपित न्यूनतम मानकों के कारण अलग-अलग जरूरतों का सवाल सामने आ गया है। इसके कारण बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से संबंधित विमर्श में एक नया आयाम पैदा हो गया है जिसके विश्लेषण की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता ।
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हिन्दी संस्करण : राजेन्द्र रवि
आलेख : अभय कुमार दुबे

Includews bibliographical references and index.

सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनोन्मुख बुद्धिजीवियों और समतामूलक समाज की रचना में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए बेहद उपयोगी इस पुस्तक में बौद्धिक सम्पदा संरक्षण और टिकाऊ विकास की अवधारणा के भूमंडलीय कानूनी पहलुओं पर रोशनी डाली गई है। बौद्धिक सम्पदा संरक्षण एक ऐसा विषय है जिस पर साहित्य का लगभग अभाव ही है, बावजूद इसके कि यह प्रश्न हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करने की स्थिति में आ चुका है। भूमंडलीकरण की दौड़ में पूरी तरह शामिल भारत ही नहीं अन्य विकासशील देशों की सरकारों ने भी महसूस कर लिया है कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार अंगीकार करने के बावजूद उन्हें कुछ विशेष उपाय अपनाने होंगे ताकि उनके जैसे नव-स्वाधीन देशों के हितों की रक्षा की जा सके विकासशील देशों का हित इसी में है कि वे टिकाऊ विकास की अवधारणा की रोशनी में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को देखें। ट्रिप्स समझौते के कारण हुए बौद्धिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीयकरण की तेज प्रक्रिया ने भी विकासशील देशों को इन अधिकारों के प्रति जागरूक किया है। ट्रिप्स द्वारा आरोपित न्यूनतम मानकों के कारण अलग-अलग जरूरतों का सवाल सामने आ गया है। इसके कारण बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से संबंधित विमर्श में एक नया आयाम पैदा हो गया है जिसके विश्लेषण की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता ।

Hindi.

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