अग्निसागर से अमृत / सी. राधाकृष्णन
By: राधाकृष्णन, सी. Radhakrishnan, C [लेखक., author.].
Contributor(s): अम्मा, एस. तंकमणि [अनुवादक ] | पिल्लै, के. जी. बालकृष्ण [अनुवादक ].
Publisher: नई दिल्ली : भारतीय ज्ञानपीठ, 2017Description: 255p.ISBN: 9789326355896 .Other title: Agnisagar se Amrit.Subject(s): मलयालम साहित्य -- कथा साहित्य | सॉल्वेंट कुंजिकुट्टन का जीवन और कार्य | साहित्य में सामाजिक पहलू | साहित्य में सांस्कृतिक विरासत | भारतीय साहित्य -- मलयालमDDC classification: 891.4935 Summary: मलयालम भाषा के जनक माने जानेवाले सोलहवीं शती के कविवर तुंचत्तु एषुत्तच्छन के जीवन वृत्त और सृजन वैभव को केन्द्र बनाकर विरचित औपन्यासिक कृति है यह । तत्कालीन समाज, जन-जीवन, इतिहास और संस्कृति के सूक्ष्म एवं गहन अनुसन्धानपरक अध्ययन, मनन, चिंतन और मंथन के परिणाम स्वरूप यह अमृतोपम साहित्यिक उपलब्धि हासिल हुई है। विशिष्ट संवेदना और अनोखी शिल्प-संरचना से अभिमण्डित यह कृति मात्र मलयालम साहित्य की ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की ही अनूठी उपलब्धि है। केरल की संस्कृति के जल बिंदु में भारतीय संस्कृति का महा - सागर ही इस कृति में प्रतिबिंबित हो उठता है।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 891.4935 RAD-A (Browse shelf) | Available | 53466 |
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891.44371 BHO-S Subaltern speaks: truth and ethics in Mahasweta Devi’s fiction on tribals | 891.456 092 CRI- Critical Discourse in Odia: | 891.473 AGA-P पद्मावत : | 891.4935 RAD-A अग्निसागर से अमृत / | 891.733 DOS-N Notes from the dead house | 891.851 HAM- हमारे और अंधेरे के बीच : | 891.851 HAM- हमारे और अंधेरे के बीच : |
Includes bibliographical references and index.
मलयालम भाषा के जनक माने जानेवाले सोलहवीं शती के कविवर तुंचत्तु एषुत्तच्छन के जीवन वृत्त और सृजन वैभव को केन्द्र बनाकर विरचित औपन्यासिक कृति है यह । तत्कालीन समाज, जन-जीवन, इतिहास और संस्कृति के सूक्ष्म एवं गहन अनुसन्धानपरक अध्ययन, मनन, चिंतन और मंथन के परिणाम स्वरूप यह अमृतोपम साहित्यिक उपलब्धि हासिल हुई है। विशिष्ट संवेदना और अनोखी शिल्प-संरचना से अभिमण्डित यह कृति मात्र मलयालम साहित्य की ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की ही अनूठी उपलब्धि है। केरल की संस्कृति के जल बिंदु में भारतीय संस्कृति का महा - सागर ही इस कृति में प्रतिबिंबित हो उठता है।
Hindi.
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