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आधुनिकता और पैगन सभ्यताएँ : सुरेश शर्मा से उदयन वाजपेयी का संवाद / सुरेश शर्मा

By: शर्मा, सुरेश Sharma, Suresh [लेखक., author.].
Publisher: दिल्ली : राजकमल प्रकाशन, 2022Description: 128p.ISBN: 9789389598766 .Other title: Aadhunikta aur Pagan Sabhyataen: Suresh Sharma se Udayan Vajpayee ka Samvad.DDC classification: 299.94 Summary: बातचीत सोच का जरिया हो, सोच का पैमाना हो, सोच का ध्येय भी हो यह बात सिद्ध करते थे सुरेश शर्मा। बातचीत में कहना, सुनना और उसे चित्त धरना तीनों क्रिया शामिल है। सुरेश जितनी गहराई से सोचते थे उतनी ही सतर्कता से सुनते भी थे। और उनके कहने के अन्दाज़ की तो क्या बात करें! शब्दों से आशिक़ी करते थे वह। शब्दों को टटोल कर उनका अर्थ विस्तार करते थे और उन्हें तराश कर अपने अनूठे अन्दाज़ में रखते थे। संगतराश थे वह। उदयन वाजपेयी के साथ यह बातचीत सुरेश के सोचने के तरीक़े, उसका व्याप, गहराई और शब्द प्रेम का सुन्दर उदाहरण है। जब वर्तमान की इस पल की बात करते थे तब भी उसमें एक लम्बी ऐतिहासिक चेतना साथ आती थी, उनका इतिहास-बोध कोई बोझ रूप नहीं था वह उनके चित्त का, उनकी चेतना का अभिन्न और अनिवार्य अंग था। सुरेश का मनोजगत् सदियों की मानव जंखना और पुरुषार्थ को उसके आनन्द और उसकी वेदना के साथ अपने में समेटे हुए था। पाठक इस ग्रन्‍थ में सुरेश शर्मा और उनके साथ उदयन वाजपेयी की ध्वनि को सुन पायेंगे।
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299.94 SHA-A (Browse shelf) Available 53421

Includes bibliographical references and index.

बातचीत सोच का जरिया हो, सोच का पैमाना हो, सोच का ध्येय भी हो यह बात सिद्ध करते थे सुरेश शर्मा। बातचीत में कहना, सुनना और उसे चित्त धरना तीनों क्रिया शामिल है। सुरेश जितनी गहराई से सोचते थे उतनी ही सतर्कता से सुनते भी थे। और उनके कहने के अन्दाज़ की तो क्या बात करें! शब्दों से आशिक़ी करते थे वह। शब्दों को टटोल कर उनका अर्थ विस्तार करते थे और उन्हें तराश कर अपने अनूठे अन्दाज़ में रखते थे। संगतराश थे वह। उदयन वाजपेयी के साथ यह बातचीत सुरेश के सोचने के तरीक़े, उसका व्याप, गहराई और शब्द प्रेम का सुन्दर उदाहरण है। जब वर्तमान की इस पल की बात करते थे तब भी उसमें एक लम्बी ऐतिहासिक चेतना साथ आती थी, उनका इतिहास-बोध कोई बोझ रूप नहीं था वह उनके चित्त का, उनकी चेतना का अभिन्न और अनिवार्य अंग था। सुरेश का मनोजगत् सदियों की मानव जंखना और पुरुषार्थ को उसके आनन्द और उसकी वेदना के साथ अपने में समेटे हुए था। पाठक इस ग्रन्‍थ में सुरेश शर्मा और उनके साथ उदयन वाजपेयी की ध्वनि को सुन पायेंगे।

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