अगरिया / वेरियर एलविन
By: एलविन, वेरियर Warrior, Alvin Warrior Alvin [लेखक., author.].
Publisher: दिल्ली : राजकमल प्रकाशन, 2011Description: 332p.ISBN: 9788126712953.Other title: Agariya.Subject(s): अगरिया (इंडिक लोग)DDC classification: 572.954 Summary: 'अगरिया' शब्द का अभिप्राय संभवतः आग पर काम करने वाले लोगों से है अथवा आदिवासियों के देवता, अग्यासुर से, जिनका जन्म लौ से हुआ, माना जाता है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग हैं जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते हैं लेकिन 'अगरिया क्षेत्र' को डिंडोरी से लेकर नेतरहाट तक रेखांकित किया जा सकता है। गोंड, बैगा और अन्य आदिवासियों से मिलते-जुलते रिवाजों और आदतों के कारण अगरिया की जीवन-शैली पर बहुत कम अध्ययन किया गया है। हालाँकि उनके पास अपनी एक विकसित टोटमी सभ्यता है और मिथकों का अकूत भंडार भी, जो उन्हें भौतिक सभ्यता से बचाकर रखता है और उन्हें जीवनीशक्ति देता है। इस पुस्तक के बहाने यह श्रेय प्रमुख नृतत्त्वशास्त्री वेरियर एलविन को जाता है कि उन्होंने अगरिया जीवन और संस्कृति को इसमें अध्ययन का विषय बनाया है। एलविन के ही शब्दों में, मिथक और शिल्प का संगम ही इस अध्ययन का केन्द्रीय विषय है जो अगरिया को विशेष महत्त्व प्रदान करता है। इसके विभिन्न अध्यायों में अगरिया इतिहास, संख्या और विस्तार, मिथक, टोना-टोटका, शिल्प, आर्थिक स्थिति और पतन की चर्चा एव विश्लेषण के माध्यम से एक वैविध्यपूर्ण संस्कृति, जिसका अब पतन हो चुका है, की आश्चर्यजनक आंतरिक झाँकी प्रदान की गई है।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | 572.954 ALV-A (Browse shelf) | Available | 53432 |
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570.630205 DIR- Directory of all India life sciences and agricultural sciences periodicals | 571.878 HUM- Human clocks: the bio-cultural meanings of age | 572.33 GRE- Green polymeric nanocomposites / | 572.954 ALV-A अगरिया / | 572.954 ELW-H हत्या और आत्महत्या के बीच मारिया / | 573.219541 HUM- Human diversity in North-east India : | 574.5248 NIC-; Limits of man: an enquiry into the scientific bases of human population |
Includes bibliographical references and index.
'अगरिया' शब्द का अभिप्राय संभवतः आग पर काम करने वाले लोगों से है अथवा आदिवासियों के देवता, अग्यासुर से, जिनका जन्म लौ से हुआ, माना जाता है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग हैं जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते हैं लेकिन 'अगरिया क्षेत्र' को डिंडोरी से लेकर नेतरहाट तक रेखांकित किया जा सकता है। गोंड, बैगा और अन्य आदिवासियों से मिलते-जुलते रिवाजों और आदतों के कारण अगरिया की जीवन-शैली पर बहुत कम अध्ययन किया गया है। हालाँकि उनके पास अपनी एक विकसित टोटमी सभ्यता है और मिथकों का अकूत भंडार भी, जो उन्हें भौतिक सभ्यता से बचाकर रखता है और उन्हें जीवनीशक्ति देता है। इस पुस्तक के बहाने यह श्रेय प्रमुख नृतत्त्वशास्त्री वेरियर एलविन को जाता है कि उन्होंने अगरिया जीवन और संस्कृति को इसमें अध्ययन का विषय बनाया है। एलविन के ही शब्दों में, मिथक और शिल्प का संगम ही इस अध्ययन का केन्द्रीय विषय है जो अगरिया को विशेष महत्त्व प्रदान करता है। इसके विभिन्न अध्यायों में अगरिया इतिहास, संख्या और विस्तार, मिथक, टोना-टोटका, शिल्प, आर्थिक स्थिति और पतन की चर्चा एव विश्लेषण के माध्यम से एक वैविध्यपूर्ण संस्कृति, जिसका अब पतन हो चुका है, की आश्चर्यजनक आंतरिक झाँकी प्रदान की गई है।
Hindi.
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