किन्नर : अबूझ रहस्यमय जीवन / शरद द्विवेदी.
By: द्विवेदी, शरद Dwivedi, Sharad [लेखक., author.].
Publisher: प्रयागराज : लोकभारती प्रकाशन, 2022Description: 207p.ISBN: 9789393603340.Other title: Kinnar: Abujh Rahasymay Jeevan.Subject(s): लिंग पहचान | ट्रांसजेंडर व्यक्ति | तृतीय लिंग | ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति | ट्रांसजेंडर व्यक्तियों पर सांस्कृतिक दृष्टिकोण | ट्रांसजेंडर अधिकार | ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की कानूनी मान्यताDDC classification: 306.768 Summary: किन्नर अबूझ रहस्यमय जीवन' में किन्नरों के दर्द, उनकी खूबी, उनके संस्कार, संस्कृति व परम्पराओं को समाहित किया गया है। थर्ड जेंडर अर्थात किन्नर कानूनी दायरे में नहीं आते। इनसान होने के बावजूद किन्नर उपेक्षित हैं। इनके हित में कानून तो बने लेकिन उसका जमीनी स्तर पर पालन नहीं हो रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि किन्नर न स्त्री हैं और न ही पुरुष । फिर उन्हें कोई आरक्षण अथवा कानून का लाभ कैसे दिया जाए? यह स्थिति भारत सहित विश्व के लगभग सभी देशों में है। आखिर यह बड़ी विडम्बना है ना! यहाँ व्यक्ति को बिना किसी गलती की सजा दी जा रही है। उन्हें धार्मिक, सांस्कृतिक पहचान दिलाने की कागजी कार्रवाई शुरू हुई। लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। यह पुस्तक किन्नरों से आत्मीय जुड़ाव कराती है। साथ ही किन्नरों के अधिकार व सम्मान के लिए पुरजोर आवाज उठाने को प्रेरित भी करती है।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 306.768 DWI-K (Browse shelf) | Available | 53400 |
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306.7660954 CHA-Q Queer politics in India | 306.766097285 HOW-I Intimate activism : | 306.7663 WOM- Women's sexualities and masculinities in a globalizing Asia | 306.768 DWI-K किन्नर : | 306.768 NAN-T Transgender challenges in India | 306.768 SCH-T The transgender exigency : | 306.768 TRA- The transgender studies reader / |
Includes bibliographical references and index.
किन्नर अबूझ रहस्यमय जीवन' में किन्नरों के दर्द, उनकी खूबी, उनके संस्कार, संस्कृति व परम्पराओं को समाहित किया गया है। थर्ड जेंडर अर्थात किन्नर कानूनी दायरे में नहीं आते। इनसान होने के बावजूद किन्नर उपेक्षित हैं। इनके हित में कानून तो बने लेकिन उसका जमीनी स्तर पर पालन नहीं हो रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि किन्नर न स्त्री हैं और न ही पुरुष । फिर उन्हें कोई आरक्षण अथवा कानून का लाभ कैसे दिया जाए? यह स्थिति भारत सहित विश्व के लगभग सभी देशों में है। आखिर यह बड़ी विडम्बना है ना! यहाँ व्यक्ति को बिना किसी गलती की सजा दी जा रही है। उन्हें धार्मिक, सांस्कृतिक पहचान दिलाने की कागजी कार्रवाई शुरू हुई। लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। यह पुस्तक किन्नरों से आत्मीय जुड़ाव कराती है। साथ ही किन्नरों के अधिकार व सम्मान के लिए पुरजोर आवाज उठाने को प्रेरित भी करती है।
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