Normal view MARC view ISBD view

धर्म सत्ता और हिंसा / संपादक राम पुनियनी

Contributor(s): पुनियनी, राम [संपादक.].
Publisher: नई दिल्ली : राजकमल प्रकाशन, 2016Description: 288p.ISBN: 9788126726714.Other title: Dharm, Satta aur Hinsa.DDC classification: 320.954090511 Summary: बीते वर्षों के दौरान साम्प्रदायिकता का उभार भारतीय राजनीति में एक बड़े दावेदार के रूप में हुआ है। सो भी इतने जोर-शोर से कि हमारे संवैधानिक ढाँचे के लिए ख़तरा बनता दिखाई दे रहा है। अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श में भी उत्तरोत्तर धार्मिक शब्दावली का प्रयोग ज्यादा दिखने लगा है। विश्व के भी मानवाधिकार आन्दोलन इसको एक बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं। इस पुस्तक में शामिल सत्रह मौलिक आलेखों की पृष्ठभूमि यही है जिसमें अमेरिका पर सितम्बर 11 का हमला, अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ पर अमेरिकी आक्रमण, दुनिया-भर में इस्लाम का शैतानीकरण और भारत के मुम्बई व गुजरात के दंगों को ख़ास तौर पर रेखांकित किया गया है। ये आलेख बताते हैं कि भीड़ को धर्म के नाम पर भड़काकर वंचित समूहों के भीतर किसी भी विद्रोह की सम्भावना को कैसे असम्भव कर दिया जाता है और धर्म-आधारित राजनीति किस तरह आज उदारीकरण, भूमंडलीकरण और निजीकरण के साथ गठजोड़ करके चल रही है। यह पुस्तक मुस्लिम पिछड़ेपन के मिथक, हिन्दुत्व की विभाजनकारी राजनीति को आप्रवासियों की आर्थिक मदद आदि मुद्दों पर भी तथ्याधारित विचार करती है और अब आदिवासी, दलित और स्त्रियों के साथ अन्य अल्पसंख्यक समूह कैसे उसके निशाने पर आ रहे हैं यह भी बताती है। हिन्दुत्व पर लगभग हर कोण से विस्तृत परिदृश्य में प्रश्नवाचक समीक्षा करनेवाली यह पुस्तक राजनीति, समाजविज्ञान, इतिहास और धर्म आदि सभी क्षेत्रों के अध्येताओं के लिए पठनीय है।
    average rating: 0.0 (0 votes)
Item type Current location Call number Status Date due Barcode
Books Books NASSDOC Library
320.954090511 DHA- (Browse shelf) Available 53425

Includes bibliographical references and index.

बीते वर्षों के दौरान साम्प्रदायिकता का उभार भारतीय राजनीति में एक बड़े दावेदार के रूप में हुआ है। सो भी इतने जोर-शोर से कि हमारे संवैधानिक ढाँचे के लिए ख़तरा बनता दिखाई दे रहा है। अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श में भी उत्तरोत्तर धार्मिक शब्दावली का प्रयोग ज्यादा दिखने लगा है। विश्व के भी मानवाधिकार आन्दोलन इसको एक बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं। इस पुस्तक में शामिल सत्रह मौलिक आलेखों की पृष्ठभूमि यही है जिसमें अमेरिका पर सितम्बर 11 का हमला, अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ पर अमेरिकी आक्रमण, दुनिया-भर में इस्लाम का शैतानीकरण और भारत के मुम्बई व गुजरात के दंगों को ख़ास तौर पर रेखांकित किया गया है। ये आलेख बताते हैं कि भीड़ को धर्म के नाम पर भड़काकर वंचित समूहों के भीतर किसी भी विद्रोह की सम्भावना को कैसे असम्भव कर दिया जाता है और धर्म-आधारित राजनीति किस तरह आज उदारीकरण, भूमंडलीकरण और निजीकरण के साथ गठजोड़ करके चल रही है। यह पुस्तक मुस्लिम पिछड़ेपन के मिथक, हिन्दुत्व की विभाजनकारी राजनीति को आप्रवासियों की आर्थिक मदद आदि मुद्दों पर भी तथ्याधारित विचार करती है और अब आदिवासी, दलित और स्त्रियों के साथ अन्य अल्पसंख्यक समूह कैसे उसके निशाने पर आ रहे हैं यह भी बताती है। हिन्दुत्व पर लगभग हर कोण से विस्तृत परिदृश्य में प्रश्नवाचक समीक्षा करनेवाली यह पुस्तक राजनीति, समाजविज्ञान, इतिहास और धर्म आदि सभी क्षेत्रों के अध्येताओं के लिए पठनीय है।

Hindi.

There are no comments for this item.

Log in to your account to post a comment.