समाजशास्त्रीय विचारक: प्रमुख पश्चताय विचारक (समाजशास्त्र रीडर-ii)/ नरेश भार्गव;वेददान सुधीर ;अरुण चतुर्वेदी; संजय लोढ़ा
Contributor(s): भार्गव,नरेश [संपादक] | वेददान सुधीर [संपादक] | अरुण चतुर्वेदी [संपादक] | संजय लोढ़ा [संपादक].
Publisher: जयपुर: रावत, 2021Description: xviii,192p. Include Reference.ISBN: 9788131610442.Other title: Samaajashaastreey Vichaarak: Pramukh Paashchaaty Vichaarak.Subject(s): सामाजिक सिद्धांत -- सामाजिक विज्ञानDDC classification: 300.1 Summary: किसी भी अन्य शास्त्र की तरह समाजशास्त्र को एक सैद्धांतिक विषय के रूप में स्थापित करने में अनेक विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने तत्कालीन समाजशास्त्र की परिधि को बांधने का प्रयास किया। इन्होंने मनुष्य, समाज और इनके सम्बन्धों से जुड़ी नई सैद्धांतिक रचनाएँ कीं और इन्हीं के सम्बन्ध में नई अवधारणाओं को भी विकसित किया। इन प्रतिष्ठित और स्थापित विद्वानों के मतों और आग्रहों के अनुसार समाजशास्त्र में नए आधार स्थापित हुए। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन चिंतकों ने समाजशास्त्र में वे आधार स्थापित किए, जिनके सूत्रों ने समाजशास्त्रीय विचारों को न केवल अंकित किया बल्कि आज के समाजशास्त्र की आधारशिला रखते हुए उन्हें पोषित भी किया। कार्ल मार्क्स, मैक्स वेबर, इमाइल दुर्खीम, पितरिम सोरोकिन, विल्फ्रेड पेरेटो तथा अन्य चिंतक समाजशास्त्र की विकास यात्रा के ऐसे ही प्रतिभागी थे। इन चिंतकों ने मौलिक समाजशास्त्रीय रचनाओं के साथ-साथ उन पद्धतियों को भी विकसित किया जिनके आधार पर भविष्य के समाजशास्त्र की रूपरेखा तैयार करना सम्भव हुआ। इनके द्वारा प्रस्तुत अवधारणाओं ने बदलते हुए समाज की कल्पनाओं को भी साकार रूप प्रदान किया। अतः समाज और समाजशास्त्र में रुचि रखने वाले पाठकों तथा विद्यार्थियों के लिए इन चिंतकों को जानना और समझना अनिवार्य हो जाता है। इस संकलन में समाजशास्त्र के ऐसे ही सात प्रमुख विचारकों के विचारों, उनके द्वारा प्रस्तुत अवधारणाओं और सिद्धांतों को प्रस्तुत किया गया है। आशा है यह संकलन पाठकों को एक प्रारम्भिक समझ विकसित करने में सहायक होगा।Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 300.1 SAM- (Browse shelf) | Available | 54159 |
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300 NAG-S समाजशास्त्र परिचय/ | 300 SIN-S समाजशास्त्र: | 300.072 GOE-R Research Methods And Statistical Applications ( In Social & Behavioural Science) सामाजिक एवं व्यावहारिक विज्ञानों में शोध विधियां एवं सांख्यिकीय अनुप्रयोग | 300.1 SAM- समाजशास्त्रीय विचारक: | 300.72 SIN-S सामाजिक अनुसंधान की बिधियाँ/ | 300.72 TRI-S सामाजिक अनुसंधान एवं सांख्यिकी/ | 301 ABH-S Samajshastra tatha vikas |
किसी भी अन्य शास्त्र की तरह समाजशास्त्र को एक सैद्धांतिक विषय के रूप में स्थापित करने में अनेक विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने तत्कालीन समाजशास्त्र की परिधि को बांधने का प्रयास किया। इन्होंने मनुष्य, समाज और इनके सम्बन्धों से जुड़ी नई सैद्धांतिक रचनाएँ कीं और इन्हीं के सम्बन्ध में नई अवधारणाओं को भी विकसित किया। इन प्रतिष्ठित और स्थापित विद्वानों के मतों और आग्रहों के अनुसार समाजशास्त्र में नए आधार स्थापित हुए। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन चिंतकों ने समाजशास्त्र में वे आधार स्थापित किए, जिनके सूत्रों ने समाजशास्त्रीय विचारों को न केवल अंकित किया बल्कि आज के समाजशास्त्र की आधारशिला रखते हुए उन्हें पोषित भी किया। कार्ल मार्क्स, मैक्स वेबर, इमाइल दुर्खीम, पितरिम सोरोकिन, विल्फ्रेड पेरेटो तथा अन्य चिंतक समाजशास्त्र की विकास यात्रा के ऐसे ही प्रतिभागी थे। इन चिंतकों ने मौलिक समाजशास्त्रीय रचनाओं के साथ-साथ उन पद्धतियों को भी विकसित किया जिनके आधार पर भविष्य के समाजशास्त्र की रूपरेखा तैयार करना सम्भव हुआ। इनके द्वारा प्रस्तुत अवधारणाओं ने बदलते हुए समाज की कल्पनाओं को भी साकार रूप प्रदान किया। अतः समाज और समाजशास्त्र में रुचि रखने वाले पाठकों तथा विद्यार्थियों के लिए इन चिंतकों को जानना और समझना अनिवार्य हो जाता है। इस संकलन में समाजशास्त्र के ऐसे ही सात प्रमुख विचारकों के विचारों, उनके द्वारा प्रस्तुत अवधारणाओं और सिद्धांतों को प्रस्तुत किया गया है। आशा है यह संकलन पाठकों को एक प्रारम्भिक समझ विकसित करने में सहायक होगा।
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