आधुनिकता के आईने में दलित / संपा. अभय कुमार दुबे
Contributor(s): दुबे, अभय कुमार [संपा.] | सिंह, विजय बहादुर [संपा.] | यादव, योगेंद्र [संपा.].
Publisher: नयी दिल्ली वाणी प्रकाशन 2005Description: 422p.ISBN: 8107551331.Other title: Adhunikta ke aayine mei dalit.DDC classification: 305.5688 Summary: आधुनिकता के आईने में दलित की बुनियादी मान्यता यह है कि धर्म और परम्परा के ही नहीं, आधुनिकता के दायरे में भी दलित समस्या का पूरा समाधान सम्भव नहीं हो पाया है। यह संकलन आधुनिकता के सापेक्ष इस समस्या के हल की दिक्कतों और सम्भावनाओं का सन्धान करता है। विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सी.एस.डी.एस.) द्वारा प्रायोजित लोक-चिन्तन ग्रन्थमाला की इस पहली कड़ी में समझने की कोशिश की गयी है कि साम्राज्य विरोधी संघर्ष से लेकर एक आधुनिक राष्ट्र-निर्माण की विराट परियोजना चलाने के दौरान दलित समस्या पूरी तरह क्यों दूर हुई|Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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NASSDOC Library | 305.5688 ABH-A (Browse shelf) | Available | 54767 |
आधुनिकता के आईने में दलित की बुनियादी मान्यता यह है कि धर्म और परम्परा के ही नहीं, आधुनिकता के दायरे में भी दलित समस्या का पूरा समाधान सम्भव नहीं हो पाया है। यह संकलन आधुनिकता के सापेक्ष इस समस्या के हल की दिक्कतों और सम्भावनाओं का सन्धान करता है। विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सी.एस.डी.एस.) द्वारा प्रायोजित लोक-चिन्तन ग्रन्थमाला की इस पहली कड़ी में समझने की कोशिश की गयी है कि साम्राज्य विरोधी संघर्ष से लेकर एक आधुनिक राष्ट्र-निर्माण की विराट परियोजना चलाने के दौरान दलित समस्या पूरी तरह क्यों दूर हुई|
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