परसाई, हरिशंकर [Parasai, Harishankar]

दो नाक वाले लोग / Do Naak Wale Log हरिशंकर परसाई - नई दिल्ली : वाणी प्रकाशन, 2019. - 192p.

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मैं उन्हें समझा रहा था कि लड़की की शादी में टीमटाम में व्यर्थ खर्च मत करो। पर वे बुजुर्ग कह रहे थे- आप ठीक कहते हैं, मगर रिश्तेदारों में नाक कट जायेगी। नाक उनकी काफी लम्बी थी। मेरा ख्याल है, नाक की हिफाजत सबसे ज्यादा इसी देश में होती है। और या तो नाक बहुत नर्म होती है या छुरा तेज़ जिससे छोटी-सी बात से भी नाक कट जाती है। छोटे आदमी की नाक बहुत नाजुक होती है। यह छोटा आदमी नाक को छिपाकर क्यों नहीं रखता ? कुछ बड़े आदमी, जिनकी हैसियत है, इस्पात की नाक लगवा लेते हैं और चमड़े का रंग चढ़वा लेते हैं। कालाबाज़ार में जेल हो आये हैं। औरत खु आम दूसरे के साथ बॉक्स' में सिनेमा देखती है । लड़की का सार्वजनिक गर्भपात हो चुका है। लोग उस्तरा लिये नाक काटने को घूम रहे हैं। मगर काटें कैसे? नाक तो स्टील की है। चेहरे पर पहले जैसी ही फिट है और शोभा बढ़ा रही है। स्मगलिंग में पकड़े गये हैं। हथकड़ी पड़ी है। बाज़ार में से ले जाये जा रहे हैं। लोग नाक काटने को उत्सुक हैं। पर वे नाक को तिजोरी में रखकर स्मगलिंग करने गये थे। पुलिस को खिला-पिला कर बरी होकर लौटेंगे और नाक फिर पहन लेंगे।


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9789350728215


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