प्रेमाश्रम बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में अत्याचारी जमीदारो, रिश्क्तखोर राजकर्मचारियों, अन्यायी महाजनों और संघर्षरत किसानों की कथा है। इस अत्यंत लोकप्रिय उपन्यास में शोषणरहित और सुखी समाज के आदर्श की स्थापना की गई है। प्रेमचंद ने समाधान के रूप में प्रेमाश्रम की कल्पना की है, जिस पर आलोचकों में विवाद है। पर इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रेमचंद की भाषा की सजीवता और काव्यात्मकता इस उपन्यास में अपने श्रेष्ठतम रूप में प्रगट हुई है।
Hindi.
9789388434171
भारत--सामाजिक परिस्थितियाँ--20वीं सदी. ज़मींदार --कथा.--भारत खेतिहर मजदूर--कल्पना.--भारत सामाजिक अन्याय--कल्पना.--भारत प्रेमचंद--आलोचना एवं व्याख्या.--1880-1936