पाँच आँगनों वाला घर /
Panch Aangano wala Ghar
गोविन्द मिश्र
- दिल्ली : राधाकृष्ण प्रकाशन, 2019.
- 216p.
Includes bibliographical references and index.
करीब पचास वर्षों में फैली पाँच आँगनों वाला घर के सरकने की कहानी दरअसल तीन पीढ़ियों की कहानी है- एक वह जिसने 1942 के आदर्शों की साफ़ हवा अपने फेफड़ों में भरी, दूसरी वह जिसने उन आदर्शों को धीरे-धीरे अपनी हथेली से झरते देखा और तीसरी वह जो उन आदर्शों को सिर्फ पाठ्य-पुस्तकों में पढ़ सकी। परिवार कैसे उखड़कर सिमटता हुआ करीब-करीब नदारद होता जा रहा है - व्यक्ति को उसकी वैयक्तिकता के सहारे अकेला छोड़कर ! गोविन्द मिश्र के इस सातवें उपन्यास को पढ़ना अकेले होते जा रहे आदमी की उसी पीड़ा से गुज़रना है।
Hindi.
9788183612548
पारिवारिक सागा--फिक्शन. भारत--सामाजिक परिस्थितियाँ--कथा.--20वीं सदी हिन्दी कथा.