आधुनिकता के आईने में दलित / Adhunikta ke aayine mei dalit edited by:दुबे, अभय कुमार सिंह, विजय बहादुर यादव, योगेंद्र संपा. अभय कुमार दुबे - नयी दिल्ली वाणी प्रकाशन 2005 - 422p.

आधुनिकता के आईने में दलित की बुनियादी मान्यता यह है कि धर्म और परम्परा के ही नहीं, आधुनिकता के दायरे में भी दलित समस्या का पूरा समाधान सम्भव नहीं हो पाया है। यह संकलन आधुनिकता के सापेक्ष इस समस्या के हल की दिक्कतों और सम्भावनाओं का सन्धान करता है। विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सी.एस.डी.एस.) द्वारा प्रायोजित लोक-चिन्तन ग्रन्थमाला की इस पहली कड़ी में समझने की कोशिश की गयी है कि साम्राज्य विरोधी संघर्ष से लेकर एक आधुनिक राष्ट्र-निर्माण की विराट परियोजना चलाने के दौरान दलित समस्या पूरी तरह क्यों दूर हुई|

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