000 02642nam a22001937a 4500
999 _c37564
_d37564
020 _a9788188790357
041 _aHIN-
082 _a363.700954
_bSHA-P
100 _aशर्मा, राज कुमार
_eलेखक.
245 _aपर्यावरण संरक्षण एवं कानून /
_cराजकुमार शर्मा
260 _aदिल्ली :
_bकल्पना प्रकाशन,
_c२०२१.
300 _aIII, 236पृ.
520 _aपर्यावरण की प्रकृति निरन्तर परिवर्तनशील रही है जिसके अर्न्तगत वर्तमान में पर्यावरण का अध्ययन विज्ञान एवं समाज विज्ञानों की विभिन्न शाखाओं में किया जा रहा है। फलस्वरूप इसकी प्रकृति बहुविषयी हो गई हैं। प्रारम्भ में पर्यावरण का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों में ही किया जाता था लेकिन पर्यावरण के घटकों के तीव्रगति से दोहन से पर्यावरण की सुरक्षा एवं पारिस्थितिक तंत्र के सन्तुलन को बनाये रखने के लिए इसके अध्ययन का क्षेत्र विस्तृत किया गया ताकि प्राकृतिक विज्ञानों के साथ-साथ प्राकृतिक उपक्रमों एवं मानवीय क्रियाकलापों का अध्ययन समाज विज्ञानों में भी किया जा सके। इस दृष्टि से वर्तमान में समाजशास्त्र, राजनीतिविज्ञान, इतिहास एवं साहित्य में भी पर्यावरण अध्ययन का समावेश किया गया है। इसके कारण पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति बहुविषय बन गई है।
546 _aहिंदी
650 _aभारत
650 _aपर्यावरण कानून
650 _aपर्यावरण संरक्षण
942 _2ddc
_cBK