000 | 02182nam a2200253 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c37628 _d37628 |
||
020 | _a9789388434171 | ||
041 | _ahin- | ||
082 |
_a891.43350954 _bPRE-P |
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100 |
_aप्रेमचंद, _qPremchand, _eलेखक. _eauthor. |
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245 |
_aप्रेमाश्रम / _cप्रेमचंद |
||
246 | _aPremashram | ||
250 | _a3rd ed. | ||
260 |
_aनई दिल्ली : _bवाणी प्रकाशन, _c2018. |
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300 | _a364p. | ||
504 | _aIncludes bibliographical references and index. | ||
520 | _aप्रेमाश्रम बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में अत्याचारी जमीदारो, रिश्क्तखोर राजकर्मचारियों, अन्यायी महाजनों और संघर्षरत किसानों की कथा है। इस अत्यंत लोकप्रिय उपन्यास में शोषणरहित और सुखी समाज के आदर्श की स्थापना की गई है। प्रेमचंद ने समाधान के रूप में प्रेमाश्रम की कल्पना की है, जिस पर आलोचकों में विवाद है। पर इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रेमचंद की भाषा की सजीवता और काव्यात्मकता इस उपन्यास में अपने श्रेष्ठतम रूप में प्रगट हुई है। | ||
546 | _aHindi. | ||
650 |
_aभारत _xसामाजिक परिस्थितियाँ _y20वीं सदी. |
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650 |
_aज़मींदार _zभारत _xकथा. |
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650 |
_aखेतिहर मजदूर _zभारत _xकल्पना. |
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650 |
_aसामाजिक अन्याय _zभारत _xकल्पना. |
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650 |
_aप्रेमचंद _y1880-1936 _xआलोचना एवं व्याख्या. |
||
942 |
_2ddc _cBK |