000 | 01470nam a22002657a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c37629 _d37629 |
||
020 | _a9789350002346 | ||
041 | _ahin- | ||
082 |
_a891.4335 _bPRE-G |
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100 |
_aप्रेमचंद, _qPremchand _eलेखक. _eauthor. |
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245 |
_aगोदान / _cप्रेमचंद |
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246 | _aGodan | ||
260 |
_aनई दिल्ली : _bवाणी प्रकाशन, _c2021. |
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300 | _a371p. | ||
504 | _aIncludes bibliographical references and index. | ||
520 | _aगोदान को प्रेमचंद का कालजयी उपन्यास माना जाता है। यह अपने समय का आईना है। इसमें कृषक जीवन की विडम्बनाओं का मार्मिक चित्रण मिलता है। उस समय की शायद ही कोई समस्या हो जिसका गहरा चित्रण 'गोदान' में नहीं मिलता। | ||
546 | _aEnglish. | ||
650 | _aभारत. | ||
650 | _aकिसानों. | ||
650 | _aहिंदी कथा साहित्य. | ||
650 | _aइंडिक फिक्शन (अंग्रेजी). | ||
650 | _aउर्दू गल्प. | ||
650 | _aशिष्टाचार और रीति-रिवाज. | ||
650 | _aसामुदायिक जीवन. | ||
942 |
_2ddc _cBK |