000 04416nam a2200265 4500
999 _c37642
_d37642
020 _a9789389012859
041 _ahin
082 _a307.72
_bGRA-
245 _aग्रामीण परिवेश का बदलता जीवन :
_bसामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिपेक्ष्य /
_cसम्पादक सुरिन्दर एस जोधका, कमल नयन चौबे
246 _aGramin Parivesh ka Badalta Jeevan: samajik, arthik evam rajneetik paripekshya
260 _aनई दिल्ली :
_bवाणी प्रकाशन और इकनॉमिक एण्ड पोलिटिकल वीकली,
_c2019
300 _a383p.
440 _aभारतीय ग्राम शृंखला - III
504 _aIncludes bibliographical references and index.
520 _aग्रामीण भारत के जीवन के विविध आयामों से सम्बन्धित विद्वत्तापूर्ण और अनुसन्धानपरक आलेखों से बनी यह पुस्तक अपने आप में अनूठी है। इसका एक स्पष्ट कारण तो यह है कि इसमें भारत के गाँवों के जीवन के विविध आयामों से सम्बन्धित आलेख सम्मिलित हैं, और दूसरा कारण यह है कि यह पुस्तक स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन में गत्यात्मक परिवर्तनशीलता की तस्वीर प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के अध्यायों को पढ़ते हुए हमें स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद के आरम्भिक दशकों में भारतीय गाँवों की स्थिति, जातियों की भूमिका और उनमें हो रहे परिवर्तन के बारे में जानकारी मिलती है। बाद के अध्यायों में साठ सत्तर और अस्सी के दशक में राज्य द्वारा निर्मित नीतियों के कारण ग्रामीण जीवन में होने वाले बदलावों का अनुभवसिद्ध अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इसी तरह कई अन्य अध्याय उदारीकरण और भूमण्डलीकरण के दौर में भारतीय गाँवों की दशा और दिशा को प्रदर्शित करते हैं। इस पुस्तक के संकलित आलेखों में ग्रामीण परिवेश का आधुनिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण, ग्रामीण स्त्रियों को आकांक्षाएँ एवं पुरुष संस्कृति, हाशिये की राजनीति एवं कृषि सम्बन्धी परिवर्तनों का पुनरावलोकन किया गया है।
546 _aHindi.
650 _aग्रामीण विकास
_zभारत.
650 _aग्रामीण समाजशास्त्र
_zभारत.
650 _aसामाजिक परिवर्तन
_xग्रामीण क्षेत्र
_zभारत.
650 _aआर्थिक स्थितियाँ
_xग्रामीण क्षेत्र
_zभारत.
650 _aभारतीय गाँव
_xसामाजिक आर्थिक पहलू.
700 _aजोधका, सुरिंदर एस. [Jodhka, Surinder S.]
_eसंपादक [editor]
700 _aचौबे, कमाल नयन [Choubey, Kamal Nayan]
_eसंपादक [editor]
942 _2ddc
_cBK