000 02725nam a22002657a 4500
999 _c37648
_d37648
020 _a9789326355896
041 _ahin
082 _a891.4935
_bRAD-A
100 _aराधाकृष्णन, सी.
_qRadhakrishnan, C
_eलेखक.
_eauthor.
245 _aअग्निसागर से अमृत /
_cसी. राधाकृष्णन
246 _aAgnisagar se Amrit
260 _aनई दिल्ली :
_bभारतीय ज्ञानपीठ,
_c2017.
300 _a255p.
504 _aIncludes bibliographical references and index.
520 _aमलयालम भाषा के जनक माने जानेवाले सोलहवीं शती के कविवर तुंचत्तु एषुत्तच्छन के जीवन वृत्त और सृजन वैभव को केन्द्र बनाकर विरचित औपन्यासिक कृति है यह । तत्कालीन समाज, जन-जीवन, इतिहास और संस्कृति के सूक्ष्म एवं गहन अनुसन्धानपरक अध्ययन, मनन, चिंतन और मंथन के परिणाम स्वरूप यह अमृतोपम साहित्यिक उपलब्धि हासिल हुई है। विशिष्ट संवेदना और अनोखी शिल्प-संरचना से अभिमण्डित यह कृति मात्र मलयालम साहित्य की ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की ही अनूठी उपलब्धि है। केरल की संस्कृति के जल बिंदु में भारतीय संस्कृति का महा - सागर ही इस कृति में प्रतिबिंबित हो उठता है।
546 _aHindi.
650 _aमलयालम साहित्य
_xकथा साहित्य.
650 _aसॉल्वेंट कुंजिकुट्टन का जीवन और कार्य.
650 _aसाहित्य में सामाजिक पहलू.
650 _aसाहित्य में सांस्कृतिक विरासत.
650 _aभारतीय साहित्य
_xमलयालम.
700 _aअम्मा, एस. तंकमणि
_eअनुवादक
700 _aपिल्लै, के. जी. बालकृष्ण
_eअनुवादक
942 _2ddc
_cBK