000 | 03103nam a2200193 4500 | ||
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999 |
_c38377 _d38377 |
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020 | _a9789386863690 | ||
041 | _ahin- | ||
082 |
_a305.697 _bRAN-S |
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100 |
_aरणजीत, _eलेखक. _eauthor . |
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245 |
_aसाम्प्रदायिकता का ज़हर / _cरणजीत |
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260 |
_aप्रयागराज: _bलोकभारती प्रकाशन, _c2022. |
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300 | _a244p. | ||
504 | _aIncludes bibliographical references and index. | ||
520 | _a'साम्प्रदायिकता का जहर' पुस्तक में महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुलकलाम अजाद, आचार्य नरेन्द्रदेव, जयप्रकाश नारायण, डॉ. भीमराव आम्बेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया, शहीदे आजम भगतसिंह, किशन पटनायक, गणेशशंकर विद्यार्थी, प्रेमचन्द, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, मस्तराम कपूर, विभूति नारायणराय, पुरुषोत्तम अग्रवाल, असगर अली इन्जीनियर, राजकिशोर, डॉ. रमेन्द्र, डॉ. राम पुनियानी, तस्लीमा नसरीन, मधु किश्वर, इरफ़ान इन्जीनियर आदि के लेख संकलित हैं। स्पष्ट है कि इसमें स्वाधीनता से पूर्व और स्वाधीनता के बाद के भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या के बदलते हुए रूपों और फैलते हुए आयामों पर, भारतीय मनीषा ने जो भी कुछ सोचा है, एक प्रकार से उसका निचोड़ आ गया है। हिन्दी में शायद ही कोई और ऐसी पुस्तक हो, जिसमें इतने व्यापक फलक पर इस समस्या को रखकर देखा गया है। अन्त में देवी प्रसाद मिश्र की कविता के द्वारा हमारे सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग को, हमारे आम नज़रिये की रोशनी में, मर्मस्पर्शी, प्रस्तुति ने, सोने में सुहागे का काम किया है। अपने विषय की एक अपरिहार्य पुस्तक । | ||
546 | _aHindi. | ||
650 | _aभारत. | ||
650 | _aसांप्रदायिकता. | ||
942 |
_2ddc _cBK |