000 04190nam a2200241 4500
999 _c38382
_d38382
020 _a9788180318627
041 _ahin-
082 _a501
_bSAN-V
100 1 _aसांकृत्यायन, राहुल
_qSaankrityayan, Rahul
245 1 0 _aवैज्ञानिक भौतिकवाद /
_cराहुल सांकृत्यायन
246 _aVaigyanik Bhautikvad
260 _aप्रयागराज :
_bलोकभारती प्रकाशन,
_c2014.
300 _a168p.
504 _aIncludes bibliographical references and index.
520 _aवैज्ञानिक भौतिकवाद' आज के वैज्ञानिक युग के उस चरण की व्याख्या है जिसमें साइंस के नाम पर मृत विचारों की अपेक्षा नये वैज्ञानिक विचारों व आलोक में मानवीय नैतिकता, धर्म, समाज, दर्शन, मूल्यवत्ता और मानवीय सम्बन्धों की व्याख्या की गयी है। जर्मन दार्शनिक हीगेल ने जिस द्वन्द्वात्मक सिद्धान्त पर आध्यात्मिकता की व्याख्या की थी, मार्क्स ने उसी द्वन्द्वात्मक सिद्धान्त के प्रयोग से भौतिकवाद की व्याख्या की राहुल जी की पुस्तक वैज्ञानिक भौतिकवाद मूलतः इन्द्वात्मक भौतिकवाद को ही प्रतिपादित करने के लिए लिखी गयी पुस्तक है। पुस्तक को विद्वान् लेखक ने तीन मुख्य अध्यायों में बाँटकर, इतिहास, दर्शन, समाजशास्त्र और धर्म आदि की पूरी व्याख्या प्रस्तुत की है। यह पुस्तक राहुल जी ने सबसे पहले 1942 में लिखी थी जबकि देश में गाँधी जी और गाँधीवादी का बड़ा प्रबल समर्थन व्याप्त था। इसमें भारतीय सन्दर्भ को लेकर गाँधीवाद की विवेचना है। भारतीय चिन्तन और दर्शन की दृष्टि से यह पुस्तक सर्वप्रथम भारतीय साहित्य में विशेषकर हिन्दी में एक बहुत बड़ी कमी की पूर्ति करती है। दार्शनिक दृष्टि से 'वैज्ञानिक भौतिकवाद' अपनी छोटी-सी काया में ही अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के यूरोपीय चिन्तन को सूत्र रूप में भारतीय सन्दर्भ के साथ प्रस्तुत करती है। वस्तुतः इस पुस्तक के अध्ययन से कोई भी भारतीय भाषा-भाषी पाश्चात्य चिन्तन प्रणाली को भली-भांति जान सकता है।
546 _aHindi.
650 _aविज्ञान और नैतिकता.
650 _aविज्ञान और समाज.
650 _aदर्शन, आधुनिक.
650 _aहेगेल, जॉर्ज विल्हेम फ्रेडरिक, 1770-1831.
650 _aमार्क्स, कार्ल, 1818-1883.
942 _2ddc
_cBK