000 05718nam a22002417a 4500
999 _c38395
_d38395
020 _a9789389243451
041 _ahin-
082 _a390
_bUPA-L
100 1 _aउपाध्याय, कृष्णदेव
_qUpadhyay, Krishnadev
_eलेखक.
_eauthor.
245 _aलोक संस्कृति की रूपरेखा /
_cकृष्णदेव उपाध्याय
246 _aLok Sanskriti ki Rooprekha
260 _aप्रयागराज :
_bलोकभारती प्रकाशन,
_c2019.
300 _a324p.
504 _aIncludes bibliographical references and index.
520 _aप्रस्तुत ग्रन्थ को छः खण्डों तथा 18 अध्यायों मे विभक्त किया गया है। प्रथम अध्याय में लोक संस्कृति शब्द के जन्म की कथा, इसका अर्थ, इसकी परिभाषा, सभ्यता और संस्कृति में अन्तर, लोक साहित्य तथा लोक संस्कृति में अन्तर हिन्दी में फोक लोर का समानर्थक शब्द लोक संस्कृति तथा लोक संस्कृति के विराद स्वरूप की मीमांसा की गयी है। द्वितीय अध्याय में लोक संस्कृति के अध्ययन का इतिहास प्रस्तुत किया गया है। यूरोप के विभिन्न देशों जैसे जर्मनी, फ्रान्स, इंग्लैण्ड, स्वीडेन तथा फिनलैण्ड आदि में लोक साहित्य का अध्ययन किन विद्वानों के द्वारा किया गया, इसकी संक्षिप्त चर्चा की गयी है। द्वितीय खण्ड पूर्णतया लोक विश्वासों से सम्बन्धित है। अतः आकाश-लोक और भू- लोक में जितनी भी वस्तुयें उपलब्ध हैं और उनके सम्बन्ध में जो भी लोक विश्वास समाज में प्रचलित हैं उनका साङ्गोपाङ्ग विवेचन इस खण्ड में प्रस्तुत किया गया है। तीसरे खण्ड में सामाजिक संस्थाओं का वर्णन किया है जिसमें दो अध्याय हैं - ( 1 ) वर्ण और आश्रम (2) संस्कार। वर्ण के अन्तर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्रों के कर्त्तव्य, अधिकार तथा समाज में इनके स्थान का प्रतिपादन किया गया है। आश्रम वाले प्रकरण में चारों आश्रमों की चर्चा की गयी है। जातिप्रथा से होने वाले लाभ तथा हानियों की चर्चा के पश्चात् संयुक्त परिवार के सदस्यों के कत्तव्यों का परिचय दिया गया है। पंचम खण्ड में ललित कलाओं का विवरण प्रस्तुत किया गया है। इन कलाओं के अन्तगर्त संगीतकला, नृत्यकला, नाट्यकला, वास्तुकला, चित्रकला, मूर्तिकला आती है। संगीत लोक गीतों का प्राण है। इसके बिना लोक गीत निष्प्राण, निर्जीव तथा नीरस है। पष्ट तथा अन्तिम खण्ड में लोक साहित्य का समास रूप में विवेचन प्रस्तुत किया गया है। लोक साहित्य का पाँच श्रेणियों में विभाजन करके, प्रत्येक वर्ग की विशिष्टता दिखलायी गयी है। षष्ट तथा अन्तिम खण्ड में लोक साहित्य का समास रूप में विवेचन प्रस्तुत किया गया है। लोक साहित्य का पाँच श्रेणियों में विभाजन करके, प्रत्येक वर्ग की विशिष्टता दिखलायी गयी है।
546 _aHindi.
650 _aलोक साहित्य.
650 _aलोक संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन.
650 _aलोक साहित्य पर यूरोपीय दृष्टिकोण.
650 _aलोक मान्यताएं और प्रथाएं.
650 _aब्रह्मांड विज्ञान और लोकगीत.
942 _2ddc
_cBK