000 03719nam a22002417a 4500
999 _c38409
_d38409
020 _a9788126715190
041 _ahin-
082 _a305.8009543
_bGRI-M
100 1 _aग्रिग्सन, डब्ल्यू. वी.
_qGrigson, W. V.
_eलेखक.
_eauthor.
245 1 0 _aमध्य प्रांत और बरार में आदिवासी समस्याएं /
_cडब्ल्यू. वी. ग्रिग्सन
246 _aMadhya Pradesh aur Bihar mein Adivasi Samasyaen
260 _aदिल्ली :
_bराजकमल प्रकाशन,
_c2018.
300 _a576p.
504 _aIncludes bibliographical references and index.
520 _aजनजातीय समाज की अवहेलना सदियों से की जाती रही है और मौजूदा समय में भी बरकरार है, जिनकी अनगिनत समस्याओं को दरकिनार कर उनकी जमीनों के मालिकाना हकों को उनसे सरकारी या गैर-सरकारी तरीकों से हड़पा जाता रहा है। उनकी कठिनाइयों और समस्याओं का सूक्ष्म दृष्टि से आंकलन करता यह दस्तावेज हमारे सम्मुख उस जीवन-दृश्य को प्रस्तुत करता है, जो नारकीय है। प्रस्तुत पुस्तक मध्य प्रान्त और बरार में रहनेवाले जनजातीय समाज की विषम समस्याओं से हमें अवगत कराती है कि कैसे समय-समय पर उनकी जमीनों, परम्पराओं, भाषाओं से अलग-थलग करके उन्हें 'निम्न' जाँचा गया है और कैसे उन्हें साहूकारी के पंजों में फँसाकर बँधुआ मजदूरी के लिए बाध्य किया गया है। यहाँ उनकी समस्याओं का एक गम्भीर विश्लेषण है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, पशु-चिकित्सा आदि के नाम पर उन पर जबरन एक 'सिस्टम' थोपा गया जिससे उनकी समस्याएँ कम होने की बजाय और बढ़ी हैं। डब्ल्यू.वी. ग्रिग्सन की अंग्रेजी पुस्तक से अनूदित यह पुस्तक जहाँ एक तरफ जनजातीय समस्याओं पर केन्द्रित हिन्दी पुस्तकों के अभाव को दूर करती है, वहीं दूसरी ओर शोधकर्ताओं और समाज के उत्थान में जुटे कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन भी करती है।
546 _aHindi.
650 _aस्वदेशी लोग.
650 _aभारत
_zमध्य प्रदेश.
650 _aमानव जाति विज्ञान.
650 _aसामाजिक स्थिति.
650 _aभारत
_zमध्य प्रांत.
942 _2ddc
_cBK