000 03821nam a2200265 4500
999 _c38422
_d38422
020 _a9788126715947
041 _ahin-
082 _a954.3
_bFOR-M
100 _aफोरसिथ, कैप्टन जे.
_qForsyth, Captain J.
_eलेखक.
_eauthor.
245 _aमध्यभारत के पहाड़ी इलाके /
_cकैप्टन जे. फोरसिथ
246 _aMadhyabharat ke pahadi ilake
260 _aदिल्ली :
_bराजकमल प्रकाशन,
_c2019 .
300 _a296p.
504 _aIncludes bibliographical references and index.
520 _aमध्यभारत के पहाड़ी इलाके पुस्तक मध्यभारत के उन पहाड़ी और मैदानी इलाकों से हमारा साक्षात्कार कराती है जहाँ आदिवासियों की गहरी पैठ रही है । पुस्तक हमें बताती है कि आमतौर पर लोग भारत के 'पहाड़ी' और 'मैदानी इलाकों की ही बात करते हैं। पहाड़ी इलाके से उनका अभिप्राय होता है मात्र हिमालय पर्वत शृंखला तथा मैदानी इलाके यानि बाकी देश । पृथ्वी पर बड़े-बड़े पर्वतों, जिन्हें 'पहाड़' से ज्यादा कुछ नहीं कहा जाता, और तथाकथित 'मैदानी' इलाकों के बीच जो बहुत-सी जमीन पड़ी है, उसके लिए कोई निर्दिष्ट भौगोलिक नाम नहीं है । प्रायद्वीप के दक्षिण में नीलगिरि नाम की पर्वत श्रृंखला है, जिसकी ऊँचाई 9000 फीट है, लेकिन भारत से बाहर और भारत में भी इसे ऐसे इलाके के रूप में बहुत कम लोग जानते हैं, जो बीमार लोगों का आश्रय स्थल और विताप (जिसकी छाल से कुनैन बनती है) की नर्सरी है । यह पुस्तक हमें उन स्थानों का भी भ्रमण कराती है जहाँ पहुँचना मनुष्य के लिए लगभग दुष्कर है। इसमें नर्मदा घाटी, महादेव पर्वत, मूल जनजातियों, संत लिंगों का अवतरण, सागौन क्षेत्र, शेर, उच्चतर नर्मदा, साल वन, आदि का भी विस्तार से वर्णन हुआ है। प्रकृति प्रेमियों, पर्यटकों तथा शोधकर्त्ताओं के लिए एक बेहद जरूरी पुस्तक ।
546 _aEnglish.
650 _aयात्रा.
650 _aभारत
_zमध्य प्रदेश.
650 _aमानव जाति विज्ञान.
650 _aशिकार करना.
650 _aप्राकृतिक इतिहास - विज्ञान.
650 _aफोर्सिथ, जे. (जेम्स), 1838-1871.
650 _aवन एवं वानिकी.
942 _2ddc
_cBK