000 | 03717 a2200193 4500 | ||
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999 |
_c38838 _d38838 |
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020 | _a978- 9355213501 | ||
082 |
_a923.254 _bMAH-V |
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100 |
_aमाहुरकर, उदय _eAuthor |
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245 |
_aवीर सावरकर/ _cBy उदय माहुरकर |
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260 |
_bप्रभात प्रकाशन : _c2023 _aनई दिल्ली, |
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300 |
_a352p. _bill.(Black & white); _e22cm. |
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520 | _aयदि भारत अपनी स्वाधीनता के 75वें वर्ष की ओर देखता है तो वह देश के विभाजन के 75वें वर्ष की ओर भी देखता है। यह संभवत: बीसवीं शताब्दी की विकटतम मानव त्रासदी थी, जिसने बड़े पैमाने पर अभूतपूर्व हिंसा देखी; और इस हिंसा की प्रणेता वे इच्छुक पार्टियाँ थीं, जिन्होंने अपने राजनीतिक एवं विचारधारात्मक कारणों से उसे भड़काया था। विभाजन की ओर प्रवृत्त करनेवाले वास्तविक कारणों का विश्लेषण करें तो उसका पाठ भारत की एकता एवं अखंडता में निहित है, जिसका प्रमाण वीर सावरकर द्वारा विभाजन को रोकने के लिए किए गए अथक प्रयासों में मिलता है। तार्किक रूप से भारत की राष्ट्रीय अखंडता के महानतम प्रतीक सावरकर को ओर से भारत की सुरक्षा के प्रति जो चेतावनियाँ दी गई थीं, वे विगत सात दशकों में सत्य सिद्ध हुई हैं। “वीर सावरकर” पुस्तक सावरकर जैसे तपोनिष्ठ चिंतक एवं भारत की सुरक्षा के जनक के उस पक्ष को प्रस्तुत करती है, जिससे भारत के विभाजन को रोका जा सकता था। इस पुस्तक में देश एवं उसकी नई पीढ़ी के समक्ष भारत विभाजन, जोकि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण हुआ था, को सत्य कथा को प्रस्तुत करने एवं इतिहास को परिवर्तित करने की उर्वरा है। आज देश को एकजुट बनाए रखने के लिए सावरकरवादी दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। | ||
650 |
_aNational security _vStrategic culture _vBorder security _xInternational relations _zIndia |
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650 |
_aPartition _v1947 _xHistory |
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650 |
_aराष्ट्रवाद _vसामरिक संस्कृति _vसीमा सुरक्षा _xअंतरराष्ट्रीय संबंध _zभारत |
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650 |
_aविभाजन _v1947 _xइतिहास |
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700 |
_aपंडित, चिरायु _eauthor |
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942 |
_2ddc _cBK |