000 01478 a2200169 4500
999 _c38869
_d38869
020 _a978- 9390605729
082 _a294.5
_bVIV-P
100 _aविवेकानंद, स्वामी
_q Swami Vivekanand
245 _aप्रेमयोग
246 _aPremyog
260 _bप्रभात प्रकाशन
_c2023
300 _a120p.
520 _aसब कुछ देखो, सब कुछ करो, सब कुछ छुओ, पर किसी वस्तु में आसक्त मत होओ। ज्योंही वह आसक्ति आयी कि समझो मनुष्य अपने आपको खो बैठा; फिर वह अपना स्वामी नहीं रह जाता, उसी क्षण दास या गुलाम बन जाता है। यदि किसी स्त्री की दृढ़ आसक्ति किसी पुरुष पर हुई, तो वह स्त्री उस पुरुष की गुलाम बन जाती है या वह पुरुष उस स्त्री का गुलाम बन जाता है। पर गुलाम बनने में कोई लाभ नहीं है।
650 _aHindu philosophy
_vAttachment
_xSelf-realization
650 _aहिंदू दर्शन
_v लगाव
_xआत्म-साक्षात्कार
942 _2ddc
_cBK