000 | 02667nam a2200121 4500 | ||
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999 |
_c39355 _d39355 |
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020 | _a9788126708390 | ||
100 | _a चंदर, कृष्ण | ||
245 | _aएक वायलिन समंदर के किनारे | ||
260 |
_bराजकमल प्रकाशन, _c©2019 |
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300 | _a165p. | ||
520 | _aइस उपन्यास का नायक-केशव-हजारों साल पीछे छूट गई दुनिया से हमारी दुनिया में आया है । आया है एक लड़की से प्रेम करने की अटूट इच्छा लिये । वह लड़की उसे मिलती भी है, लेकिन त्रासदी यह है कि वह उसकी हत्या कर डालता है !––– –––तो जो व्यक्ति अपनी दुनिया से हमारी दुनिया में प्यार करने आया था, उसने हत्या क्यों की? यही है इस उपन्यास का मुख्य सवाल, जिसका जवाब कृष्ण चंदर ने अपने खास अंदाज में दिया है । इस प्रक्रिया में उनका यह बहुचर्चित उपन्यास वर्तमान सभ्यता के पूँजीवादी जीवन–मूल्यों पर तो प्रहार करता ही है, उन मूल्यों को भी उजागर करता है, जो मानव–सभ्यता को निरंतर गतिशील बनाए हुए हैं । उनकी मान्यता है कि पुरानी दुनिया के सिद्धांतों से नई दुनिया को नहीं परखा जा सकता । नई दुनिया की स्त्री भी नई है-प्रेम के कबीलाई और सामंती मूल्य उसे स्वीकार नहीं । अब वह स्वतंत्र है । वास्तव में सतत परिवर्तनशील मूल्य–मान्यताओं का अंत: संघर्ष इस कथाकृति को जो ऊँचाई सौंपता है, वह अपने प्रभाव में आकर्षक भी है और मूल्यवान भी ।. | ||
942 |
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