000 | 04268nam a22002177a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c39769 _d39769 |
||
020 | _a9788197418686 | ||
041 | _ahin | ||
082 |
_a954.12 _bKAZ-B |
||
100 |
_aक़ाज़ी, कायनात _eलेखक |
||
245 |
_aबोधगया के विहार : _bदक्षिण एशियाई देशों की विविध संस्कृति के वाहक / _cकायनात क़ाज़ी |
||
260 |
_aबैंगलोर : _bमूर्ति ट्रस्ट, _c2024. |
||
300 | _a306p. | ||
520 | _aबोधगया कई मायनों में विशिष्ट है। यह बुद्ध के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। यहीं 2600 वर्ष पूर्व बुद्ध को महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह पूरा क्षेत्र बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के मार्ग का प्रमाण है। ये ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पदचिह्न बोधगया में कहीं भी देखे जा सकते हैं। यह पुस्तक बोधगया में स्थित 41 मठों का सटीक सांस्कृतिक रिकॉर्ड प्रदान करती है। इन मठों के माध्यम से, लेखक ने दक्षिण एशियाई देशों की सांस्कृतिक विरासत का दस्तावेजीकरण करते हुए उस स्थान के वास्तविक सार को पकड़ने का प्रयास किया है। पुस्तक की लेखिका भारत की पहली एकल महिला यायावर और फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने भारत और विदेशों में पाँच वर्षों के अल्प काल में 3 लाख किलोमीटर की अकेले यात्रा की है। एक सांस्कृतिक संरक्षणवादी के रूप में वह आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत को उसी तरह संरक्षित करने का प्रयास करती हैं जैसे पिछले महान यात्रियों और पुरातत्वविदों ने किया था। क्योंकि यह पुस्तक एक फोटोग्राफर द्वारा तैयार की गई है, इसलिए यह दृश्य आनंद के साथ-साथ आंतरिक शांति और बौद्धिक आनंद भी प्रदान करती है। लेखिका का दावा है कि बोधगया को इस नजर से पहले कभी नहीं देखा गया है। यह पुस्तक बोधगया को निश्चित ही एक अवश्य देखने योग्य स्थान के रूप में स्थापित करेगी। | ||
546 | _aहिंदी | ||
650 |
_aबौद्ध विहार _xइतिहास _zभारत—बोधगया |
||
650 |
_aबौद्ध कला एवं प्रतीक _xदक्षिण एशियाई प्रभाव _zभारत—बोधगया |
||
650 |
_aसांस्कृतिक धरोहर _xसंरक्षण एवं संवर्द्धन _zभारत—बोधगया |
||
650 |
_aतीर्थ स्थल _xबौद्ध महत्व _zभारत—बोधगया |
||
650 |
_aदक्षिण एशिया—सभ्यता _xसांस्कृतिक संबंध _zभारत—बोधगया |
||
942 |
_2ddc _cBK |